वक्फ बिल (Waqf Amendment Act) को लेकर देश में हंगामे के बीच बुधवार का दिन अहम होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट बिल के पक्ष और विपक्ष में दायर याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है और उनके धर्म के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

एजेंसी, नई दिल्ली (Waqf Act 2025)। वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) में सुनवाई हो रही है। कुल 72 याचिकाएं हैं, जिन पर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही है।

सुनवाई की शुरुआत में सीजेआई ने कहा कि सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई संभव नहीं है। इसके बाद बिल का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल से पूछा कि बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है?

सिब्बल ने एक-एक कर अपनी आपत्तियां बताईं। इस दौरान सीजेआई ने उन्हें टोका भी कि हर बात को धर्म से जोड़ना सही नहीं है। सिब्बल के मुताबिक, कलेक्टर तय करेगा कि संपत्ति वक्फ की है या नहीं? इस पर सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल राजीव धवन ने कहा कि कलेक्टर के आदेश को चुनौती देने का प्रावधान है।

ममता बनर्जी ने की इमामों से मुलाकात, पीएम मोदी पर साधा निशाना

इस बीच, वक्फ कानून को लेकर राजनीति भी तेज हो गई हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। इस रणनीति पर मंथन के लिए दीदी ने बुधवार को इमामों से मुलाकात की।

इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान को नहीं बदल सकते हैं। यहां सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। हम हिंदू-मुस्लिम नहीं होने देंगे। हिंदुस्तान को तोड़ो नहीं, जोड़ो। इस दौरान ममता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भोगी बताया। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर सत्ता का लालची होने का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि उन्हें यह कानून किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं होगा।

वक्फ बिल पर याचिकाएं, की गईं हैं ये मांग

  • सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में कुछ हिंदू पक्षों द्वारा भी दायर की गई हैं। इनमें 1995 के मूल वक्फ अधिनियम के खिलाफ दायर की गई दो याचिकाएं भी शामिल हैं।
  • वहीं, अन्य याचिकाएं हाल के संशोधनों की वैधता को चुनौती देने वाली हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत द्वारा मामले का फैसला किए जाने तक अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है।
  • बता दें, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून पूरे देश में लागू हो चुका है। इससे पहले सरकार इस बिल को बिना किसी बाधा के लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराने में कामयाब रही थी।

वक्फ बिल के खिलाफ ये हैं याचिकाकर्ता

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, समाजवादी पार्टी, अभिनेता विजय की टीवीके, आरजेडी, जेडीयू, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, आप और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग समेत कई पार्टियों के नेता

7 राज्यों ने समर्थन में दायर की याचिका

इस बीच, सात राज्यों ने कानून के समर्थन में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है और मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उनका तर्क है कि यह अधिनियम संवैधानिक रूप से सही है, भेदभाव रहित है और वक्फ संपत्तियों के कुशल और जवाबदेह प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

केंद्र सरकार ने मामले में कैविएट दायर की है। कैविएट एक कानूनी नोटिस है जिसे कोई भी पक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए दायर करता है कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसकी बात सुनी जाए।