शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता है। पाकिस्तान ने हाल ही में इस समझौते को स्थगित करने की धमकी दी है। इस लेख में हम शिमला समझौते के इतिहास इसके प्रावधानों और भारत-पाकिस्तान संबंधों पर इसके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही हम पाकिस्तान की इस धमकी के संभावित परिणामों का भी विश्लेषण करेंगे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) के बाद भारत सरकार ने राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को जबरदस्त चोट पहुंचाई है। मोदी सरकार ने पांच बड़े फैसले लिए, जिसमें सिंधु समझौते स्थगित करना जैसे कड़े फैसले लिए गए।
पाकिस्तान ने भी भारत के फैसलों पर जवाबी कार्रवाई की। पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक बैठक गुरुवार को प्रधानमंत्री शाहनवाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई। पाकिस्तान ने गीदड़ भभकी दी है कि वो शिमला समझौते को स्थगित कर सकता है।
शिमला समझौता 1972
1971 के युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए गए थे। युद्ध के करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की मुलाकात हुई थी।
2 जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच हुई बैठक में एक समझौता पर दस्तखत किया गया था, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। समझौते का मूल उद्देश्य दोनों देशों के रिश्तों को सुधारना था। बता दें कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया था।
वहीं, हमारे देश के कुछ सैनिकों को भी पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। समझौते के बाद दोनों देशों की सैनिकों की रिहाई हुई। युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान के जमीन पर कब्जा कर लिया था। समझौते के बाद इसे वापस कर दिया गया।
1971 का जब युद्ध की समाप्ति हुई तो भारत और पाकिस्तान के बीच की सीजफायर लाइन को लाइन ऑफ कंट्रोल के बीच तब्दील कर दिया गया। समझौते में यह तय किया गया था कि दोनों में से कोई भी देश इस रेखा को बदलने की कोशिश नहीं करेगा।
पाकिस्तान ने बार-बार किया उल्लंघन
पाकिस्तान ने शिमला समझौते का कई बार उल्लंघन किया है। पड़ोसी मुल्क ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद कभी नहीं इसे माना। पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है। वहीं, वो लगातार सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है।जिस पाकिस्तान ने कभी भी बल प्रयोग नहीं करने की बात कही थी, उसने 1999 में कारगिल में घुसपैठ की। हालांकि, पाकिस्तान को इस बार भी मुंह की खानी पड़ी।
आतंक का सहारा ले रहा पाकिस्तान
युद्ध मैदान में भारत से मिली हार का बदला लने के लिए पाकिस्तान ने आंतकी संगठनों को सहारा लेना शुरू कर दिया। पाकिस्तान की सेना और ISI आतंकी संगठनों को पोषित करती है। आतंकियों को भारत भेजकर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने का हर मुमकिन प्रयास करती है। हालांकि, भारतीय सुरक्षा बल उसके नापाक इरादे को हर बार नाकाम कर देता है।
आइए ये भी जान लें कि दोनों देशों के बीच सिंधु जल समझौता क्या था?
- साल 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान के बीच यह समझौता हुआ था।
- समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था।
- पूर्वी हिस्से की नदियों रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है।
- वहीं, पश्चिमी हिस्से की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का 20 प्रतिशत पानी भारत रोक सकता है।
- 65 साल बाद भारत ने इस समझौते को स्थगित करने की घोषणा कर दी है।
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