इसराइल-फ़लस्तीन रूपी दो देश-समाधन को वास्तविकता बनाने की पुकार

यह चर्चा ऐसे समय में हुई जब ग़ाज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है. 

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी (UNRWA) की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में सहायता सामग्री के प्रवेश पर दो महीने से जारी इसराइली नाकाबन्दी और लगातार हो रही बमबारी के बीच बच्चे “भूखे पेट सोने को विवश हैं”.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने चेतावनी दी है कि दो-देश समाधान एक ऐसे मोड़ के निकट पहुँच है जहाँ से वापसी नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा, “दो-देश की स्थापना वाला समाधान, पूरी तरह से ग़ायब हो जाने के मोड़ पर है. इस समाधान को हासिल करने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति, अभूतपूर्व रूप से दूर नज़र आती है.”

उन्होंने सदस्य देशों से दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने के लिए ऐसे क़दम उठाने का आग्रह किया जिन्हें पलटा नहीं जा सके.

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मध्य पूर्व में शान्ति एक ऐसे भविष्य पर निर्भर करती है जहाँ इसराइल और फ़लस्तीन एक साथ रहें और येरूशेलम दोनों देशों की राजधानी हो.

उन्होंने ग़ाज़ा में मानवीय स्थिति को “कल्पना से परे” बताया, जहाँ लगभग दो महीने से भोजन, ईंधन और दवाओं की आपूर्ति अवरुद्ध रही है. 

इसराइल की इस पाबन्दी के कारण 20 लाख से अधिक लोग जीवन रक्षक राहत से वंचित रह गए.

उन्होंने दोहराते हुए कहा कि इसराइल को आम लोगों की रक्षा करनी होगी और UNRWA के कार्य सहित, पूर्ण मानवीय पहुँच की अनुमति देनी होगी.

एंतोनियो गुटेरेश ने, संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर हाल के हमलों का ज़िक्र करते हुए, जवाबदेही निर्धारित किए जाने की मांग की. 

उन्होंने साथ ही ज़ोर देते हुए यह भी कहा कि सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान करना होगा और बिना किसी अपवाद के संयुक्त राष्ट्र परिसर, सम्पत्ति व कर्मचारियों की सुरक्षा करनी होगी.

मानवाधिकारों की रक्षा की पुकार

इस बीच संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने ग़ाज़ा में तबाही को रोकने के लिए अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई किए जाने का आहवान किया है.

वोल्कर टर्क ने मंगलवार को आगाह किया कि ग़ाज़ा में सहायता सामग्री के प्रवेश पर इसराइली नाकाबंदी के नौवें सप्ताह में दाख़िल होने के साथ, ग़ाज़ा में स्थिति अभूतपूर्व संकट के स्तर पर पहुँच रही है.

उन्होंने चेतावनी दी कि ग़ाज़ा में दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह को “मानवीय क्षेत्र” के रूप में घोषित करने की इसराइल की कथित योजना, विस्थापित फ़लस्तीनियों को सहायता प्राप्त करने के लिए, विस्थापित होने के लिए मजबूर करेगी, जिससे कमज़ोर समूह – बीमार लोग, घायल और विकलांग जन, भोजन तक पहुँच के बिना रह जाएंगे, जिससे मानवीय संकट और भी गहरा हो जाएगा.

इस बीच, इसराइली बलों ने उन स्थानों पर हमले करना जारी रखा है जहाँ आम लोग पनाह लिए हुए हैं.

इन हमलों में आवासीय क्षेत्रों, स्वास्थ्य सुविधाओं और मानवीय कार्यों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाया है, जिसमें पानी के ट्रक और उत्खनन उपकरण शामिल हैं.

वोल्कर टर्क ने ज़ोर देकर कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से राहत प्रयासों में बाधा आती है, सार्वजनिक स्वास्थ्य की स्थिति ख़राब होती है और बचाव कार्यों में देरी होती है, जिससे आम लोगों को और अधिक ख़तरा होता है.

उन्होंने घोषणा की कि ग़ाज़ा की मानवीय तबाही अब तक देखी गई, किसी भी स्थिति से कहीं अधिक भीषण हो सकती है.

Written by Sharad Shrivastava

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