नई दिल्ली: भारत के हालिया सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर का असर पाकिस्तान की नीतियों और फैसलों में साफ़ झलकने लगा है ऑपरेशन की सख्त कार्रवाई और दबाव के चलते पाकिस्तान ने आखिरकार 20 दिन की हिरासत के बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पीके साहू को भारत वापस लौटा दिया है।
23 अप्रैल को सीमा पार हुए थे पीके साहू
पश्चिम बंगाल के निवासी साहू 23 अप्रैल को फिरोजपुर सेक्टर में गश्त के दौरान गलती से सीमा पार कर गए थे इससे ठीक एक दिन पहले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाया था सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी शिविरों को निशाना बनाया और पाकिस्तान के 11 एयरबेस को गंभीर क्षति पहुंचाई इस तीव्र और प्रभावी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान पर सैन्य और कूटनीतिक दबाव साफ दिखाई देने लगा।
BSF की कोशिशें और फ्लैग मीटिंग्स
साहू की रिहाई के लिए बीएसएफ अधिकारियों ने लगातार फ्लैग मीटिंग्स और कूटनीतिक संपर्क बनाए अधिकारियों ने कई बार पाकिस्तानी रेंजर्स से बात की और अंततः 13 मई को पाकिस्तान ने साहू को अटारी बॉर्डर के जरिए भारत को सौंप दिया।
तनाव के बीच बातचीत की शुरुआत इस घटनाक्रम के बीच भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका था हालांकि अब दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) स्तर पर डी-एस्कलेशन को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। रणनीति के तहत सेनाएं आपसी योजना और संवाद के ज़रिए सीमा पर शांति बनाए रखने की दिशा में काम कर रही हैं।
रिहाई सिर्फ मानवीयता नहीं, भारत की दबाव नीति का नतीजा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिहाई सिर्फ मानवीय आधार पर नहीं हुई, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक प्रभाव ने पाकिस्तान को झुकने पर मजबूर कर दिया साहू की घर वापसी सिर्फ एक जवान की रिहाई नहीं बल्कि भारत की निर्णायक और प्रभावशाली नीति का रूप है।
भारत ने साफ किया – सैनिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
जहां पाकिस्तान खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बचाने की कोशिश कर रहा है वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है ऑपरेशन सिंदूर और साहू की वापसी दोनों ही घटनाएं भारत की बदली हुई रणनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहरण हैं।
0 Comments