भारत द्वारा सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं हाल ही में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारत को धमकाते हुए कहा कि, अगर भारत ने हमारे पानी को रोकने की कोशिश की, तो हम उनकी सांसें रोक देंगे यह बयान पाकिस्तान की एक यूनिवर्सिटी में भाषण के दौरान आया, जहां जनरल शरीफ सिंधु संधि और भारत-पाक संबंधों पर बोल रहे थे।
भारत का बदला हुआ रुख: पानी पर नियंत्रण की शुरुआत
23 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को आंशिक रूप से स्थगित करने की घोषणा की थी भारत का स्पष्ट संदेश था खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते इसके बाद भारत ने सिंधु संधि के तहत आने वाली नदियों पर नियंत्रण बढ़ाने के संकेत देने शुरू कर दिए इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित बगलिहार और सलाल बांधों में फ्लशिंग ऑपरेशन की शुरुआत।
फ्लशिंग ऑपरेशन: तकनीकी कार्य या रणनीतिक कदम ?
भारत द्वारा पहली बार बड़े पैमाने पर फ्लशिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है इस प्रक्रिया के तहत नदी की गहराई बढ़ाने और तलछट को हटाने के लिए पानी को तेज़ प्रवाह से बहाया जाता है इससे नीचे की ओर पानी का बहाव कम हो सकता है और यही बात पाकिस्तान को चिंतित कर रही है रिपोर्ट्स के अनुसार, मई में हुए इस ऑपरेशन में 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक तलछट हटा दी गई है भारत का जल आयोग अब इस प्रक्रिया को हर महीने दोहराने की सिफारिश कर रहा है, जिससे पाकिस्तान को लंबे समय में पानी की आपूर्ति में असर पड़ सकता है।
पाकिस्तान की बेचैनी और बयानबाज़ी
भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान में घबराहट देखी जा रही है जल स्तर में कमी, सिंचाई पर असर और बिजली उत्पादन में रुकावट की आशंका से वहां के राजनीतिक और सैन्य हलकों में सख्त प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं जनरल अहमद शरीफ का बयान इसी बौखलाहट का हिस्सा माना जा रहा है।
क्या है सिंधु जल संधि ?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से लागू हुई थी इसके अंतर्गत भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज, और पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चेनाब का जल उपयोग करने का अधिकार दिया गया था लेकिन अब भारत यह कह चुका है कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाता, तो इस संधि का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।
पानी से अब कूटनीतिक दबाव की शुरुआत
भारत-पाक संबंधों में यह नया मोड़ सिर्फ जल नीति का विषय नहीं, बल्कि यह अब रणनीतिक दबाव का भी एक माध्यम बन चुका है भारत जहां अपनी सुरक्षा और संसाधनों पर नियंत्रण मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है वहीं पाकिस्तान की चिंता हर दिन बढ़ रही है आने वाले वक्त में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देशों के बीच जल कूटनीति के ज़रिए समाधान निकलता है या तनाव और गहराता है।
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