भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही आतंकवाद विरोधी कूटनीति में चीन एक बार फिर कटघरे में है एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के 5 कुख्यात आतंकियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रस्तावों को बार-बार रोका है। यह घटनाक्रम भारत की सुरक्षा नीति के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि ये सभी आतंकी 26/11 मुंबई हमलों, पठानकोट, पुलवामा और IC-814 विमान अपहरण जैसे मामलों में वांछित हैं। यह चीन की उस रणनीति की एक और मिसाल है जिसमें वह अपने रणनीतिक साझेदार पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की निगाहों से बचाता आया है, भले ही मामला अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़ा हो।
भारत की कोशिशें और चीन की रुकावटें: कौन हैं वो आतंकी जिनकी सुरक्षा में लगा ड्रैगन ?
रिपोर्ट के अनुसार, NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ों में 5 आतंकियों के नाम शामिल हैं, जिन्हें भारत ने UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में वैश्विक आतंकी घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन चीन ने हर बार तकनीकी आपत्ति लगाकर प्रक्रिया को रोक दिया।
1. अब्दुल रऊफ असगर
- जैश-ए-मोहम्मद का सक्रिय नेता और मसूद अजहर का भाई।
- 1999 के IC-814 कांड का मास्टरमाइंड, 2001 संसद हमले, 2016 पठानकोट और 2019 पुलवामा हमले का साजिशकर्ता।
- भारत और अमेरिका ने 2022 में मिलकर उसे बैन करने का प्रस्ताव दिया, जिसे चीन ने 2023 में रोक दिया।
2. साजिद मीर
- 26/11 मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड, अमेरिकी FBI की मोस्ट वांटेड लिस्ट में।
- मई 2022 में लाहौर में गिरफ्तार हुआ, लेकिन चीन ने 2023 में भारत के प्रस्ताव पर वेटो लगा दिया।
3. अब्दुर रहमान मक्की
- लश्कर-ए-तैयबा का राजनीतिक प्रमुख और हाफिज सईद का रिश्तेदार।
- 2022 में चीन ने भारत के बैन प्रस्ताव को रोका।
- 2023 में चीन ने रोक हटाई, लेकिन पाकिस्तान ने UN को बताया कि मक्की मर चुका है, जिससे उसकी पहचान पर संदेह बना है।
4. तल्हा सईद
- हाफिज सईद का बेटा, भारत और अफगानिस्तान में आतंकी नेटवर्क में सक्रिय।
- 2022 से चीन ने उसकी वैश्विक आतंकी सूची में नामांकन पर रोक लगा रखी है।
5. शाहिद महमूद रहमतुल्लाह
- प्रतिबंधित संगठन FIF का डिप्टी चीफ, लश्कर-ए-तैयबा से सीधा जुड़ा।
- भारत विरोधी फंडिंग, भारत में नेटवर्क खड़ा करने के प्रयासों में सक्रिय।
- चीन ने 2022 में इस पर बैन रोक दिया था।
TRF पर भी नहीं बनी बात: चीन की लगातार तीन बार रोक
भारत ने हाल के वर्षों में आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए UN में तीन प्रस्ताव दिए —
- पहला प्रस्ताव: दिसंबर 2023
- दूसरा प्रस्ताव: मई 2024
- तीसरा प्रस्ताव: फरवरी 2025
लेकिन हर बार चीन ने तकनीकी आपत्तियों के बहाने इन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।
भारत का रुख: दोहरा मापदंड बर्दाश्त नहीं
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर अपनी चिंता जाहिर की है सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने कहा है कि जिन आतंकियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, उन्हें वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए प्रतिबंधित करना जरूरी है। ऐसे प्रयासों को रोकना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता को कमजोर करता है।
चीन की ‘रणनीतिक दोस्ती’ या आतंक पर चुप्पी ?
विश्लेषकों के अनुसार, चीन पाकिस्तान की घरेलू अस्थिरता और भारत से जुड़ी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ऐसे मुद्दों पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाता है।
- वह संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति में P5 सदस्य होने का इस्तेमाल कर भारत की पहल को बार-बार रोकता रहा है।
- इससे यह धारणा भी बनती है कि चीन आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है।
भारत को बनाना होगा अंतरराष्ट्रीय दबाव
भारत को अब चाहिए कि वह इस मुद्दे को कूटनीतिक प्राथमिकता दे।
- UN, G20, BRICS और QUAD जैसे मंचों पर चीन के इस दोहरे रवैये को उजागर करना।
- अमेरिका, फ्रांस और अन्य वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर एकजुट रुख अपनाना।
क्योंकि आतंक किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए खतरा है और अगर चीन जैसे राष्ट्र इस पर राजनीति करते हैं, तो यह सिर्फ भारत नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक चुनौती है।
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