डिजिटल डेस्क |
डिजिटल मीडिया स्पेस में इस समय एक दिलचस्प बदलाव देखा जा रहा है एक तरफ जहां देश की प्रमुख समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) पर यूट्यूबर्स के खिलाफ कॉपीराइट स्ट्राइक और भारी-भरकम भुगतान की मांग के आरोप लगे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) ने इसी मौके को रणनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की है। पीटीआई ने सार्वजनिक रूप से यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर्स को सहयोग देने का भरोसा जताया है और उन्हें किफायती दरों पर अपना वीडियो कंटेंट मुहैया कराने की पेशकश की है।
डिजिटल क्रिएटर्स के लिए राहत का संदेश?
पीटीआई ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से क्रिएटर्स के नाम एक ओपन अपील जारी करते हुए कहा है कि वो कंटेंट निर्माण में आ रही कॉपीराइट बाधाओं को समझते हैं और इसका समाधान देने को तैयार हैं एजेंसी ने कहा कि वो छोटे और मझोले यूट्यूबर्स को अपना वीडियो कंटेंट बेहद अफोर्डेबल रेट्स पर देने को तैयार है ताकि वो इसे बिना किसी कॉपीराइट चिंता के अपने चैनलों पर उपयोग कर सकें। इस पहल को कई जानकार एक सॉफ्ट पावर प्ले और स्मार्ट ब्रांडिंग के रूप में देख रहे हैं खासकर तब जब एएनआई पर लगातार क्लेम और क्लेम के बदले पेमेंट की नीति को लेकर उंगलियां उठ रही हैं।
कंटेंट vs कंटेम्प्ट: ANI के खिलाफ आरोपों की बाढ़
बीते कुछ दिनों में कई मशहूर यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर्स ने ANI पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- मोहक मंगल ने दावा किया कि ANI ने महज कुछ सेकेंड की क्लिप के इस्तेमाल के लिए स्ट्राइक मारी और बाद में भारी भुगतान का दबाव बनाया।
- पौरुष शर्मा और ठगेश (महेश केशववाला) ने भी बताया कि उनसे क्रमशः लाखों रुपये मांगे गए जिनमें ठगेश ने 15 लाख का दावा किया।
- रजत पवार, जो मुख्यतः कॉमेडी और सोशल कमेंट्री करते हैं, उन्होंने भी वीडियो में बताया कि ANI ने उनसे ₹18 लाख मांगे।
ANI की तरफ से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, हालांकि एजेंसी ने कुछ प्रो-ANI ट्वीट्स को रीट्वीट कर अप्रत्यक्ष समर्थन जरूर जताया है।
X पर क्या बोले लोग ?
ANI ने जिन ट्वीट्स को साझा किया उनमें:
- कुशल मेहरा जैसे ट्विटर यूज़र्स का पक्ष शामिल था, जिसमें उन्होंने क्रिएटर्स द्वारा बिना अनुमति कंटेंट इस्तेमाल करने की आलोचना की।
- ध्रुव राठी के एक पुराने जवाब का स्क्रीनशॉट भी ANI ने शेयर किया, जिसमें वह भी क्रिएटर्स को उनके कंटेंट के लिए स्ट्राइक देने की बात कर रहे थे।
हालांकि, राठी ने हालिया घटनाओं के संदर्भ में भी ट्वीट कर कहा कि “यूट्यूब को इस तरह के कॉपीराइट के नाम पर वसूली जैसे चलन को खत्म करना चाहिए।”
क्या पीटीआई की रणनीति असर डालेगी ?
कई मीडिया विश्लेषकों का मानना है कि पीटीआई का यह कदम कॉर्पोरेट मार्केटिंग से कहीं अधिक पोजिशनिंग की रणनीति है जहां ANI अपनी कंटेंट पॉलिसी को लेकर कठोर आलोचना झेल रही है, वहीं PTI खुद को क्रिएटर्स-फ्रेंडली ब्रांड के तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
डिजिटल मीडिया और कंटेंट क्रिएशन के दौर में, जहां हर सेकेंड की फुटेज की कीमत होती है, ऐसे में समाचार एजेंसियों का रवैया कंटेंट इकोसिस्टम को सीधे प्रभावित कर सकता है। पीटीआई ने इस मौके को क्रिएटर्स के लिए एक संवेदनशील और सहायक ब्रांड के रूप में भुनाने की कोशिश की है अब देखना यह होगा कि इसका असर लंबे समय में एजेंसी की छवि और बाजार हिस्सेदारी पर कैसे पड़ता है।
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