मेहुल चोकसी के प्रर्त्यपण की तैयारी में भारत, बेल्जियम जाएगी ED व CBI की टीम; राह में अब भी कई रोड़े

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की तैयारी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम बेल्जियम जाएगी। माना जा रहा है कि दोनों एजेंसियों से दो से तीन अधिकारियों को बेल्जियम भेजा जा सकता है। यह अधिकारी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के लिए दस्तावेज तैयार करेंगे और वहां की सरकार से समन्वय करेंगे।

ईडी और सीबीआई में बैठकें

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई और ईडी में बैठकें आयोजित की गईं। बैठक में एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने पूरे घटनाक्रम पर चर्चा की। दोनों ही एजेंसियों की एक संयुक्त टीम जल्द अपने कानूनी सलाहकार के साथ बेल्जियम जाएगी। केस से जुड़े सभी दस्तावेजों को जाम किया जाएगा और वहां की सरकार से समन्वय किया जाएगा।

गिरफ्तारी के खिलाफ अपील की तैयारी

माना जा रहा है कि मेहुल चोकसी अपने प्रत्यर्पण को चुनौती देगा। इसका खुलासा उसके वकील विजय अग्रवाल ने किया। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि गिरफ्तारी के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मेडिकल आधार पर जमानत की अपील की जाएगी। मेहुल वहां कैंसर का इलाज करवा रहे हैं। इस कारण वह भाग भी नहीं सकते हैं। गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि ये हर देश की प्रक्रिया है।

आसान नहीं होगा प्रत्यर्पण

ईडी ने लगभग 6 महीने पहले बेल्जियम के अधिकारियों को चोकसी के प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा था। गिरफ्तारी के बावजूद चोकसी को भारत लाना आसान नहीं होगा। वह अपने खिलाफ इंटरपोल से जारी रेड कॉर्नर नोटिस भी खारिज करवा चुका है। उसने दावा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने उसे एंटीगुआ से अगवा करने की कोशिश की थी। मेहुल के पास एंटीगुआ की नागरिकता है।

संजय भंडारी केस का जिक्र

मेहुल चौकसी के खिलाफ भारत के पास मजबूत सबूत हैं। मगर उसका प्रत्यर्पण बेल्जियम की अदालतों के निर्णय पर निर्भर होगा। दरअसल, भारत ने ब्रिटेन से कारोबारी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की कोशिश की थी। मगर लंदन की अदालत ने भारतीय जेलों की स्थिति और मानवाधिकार के तहत भंडारी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने भी कहा कि संजय भंडारी केस के बाद मेहुल का प्रत्यर्पण बेहद मु्श्किल होगा। अब यह देखना होगा कि बेल्जियम की अदालत भारतीय जेलों की स्थिति को कैसे देखती हैं।

Written by Sharad Shrivastava

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