वॉशिंगटन: अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है ‘गोल्डन डोम’ नामक इस सुपर-एडवांस्ड डिफेंस प्रोजेक्ट को हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेश किया है इसकी लागत अनुमानित तौर पर 175 अरब डॉलर बताई जा रही है जो इसे अब तक की सबसे महंगी रक्षा परियोजनाओं में शामिल करती है।
क्या है गोल्डन डोम ?
गोल्डन डोम सिर्फ एक परंपरागत मिसाइल डिफेंस सिस्टम नहीं, बल्कि यह अंतरिक्ष से लेकर धरती तक फैली हुई एक बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली है इसका मकसद है किसी भी प्रकार के हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक या अंतरिक्ष से लॉन्च की गई मिसाइल को प्रक्षेपण के शुरुआती क्षणों में ही ट्रैक कर नष्ट करना।
इस प्रणाली को तीन प्रमुख लेयर में तैयार किया जा रहा है:
- अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर्स
- एआई-संचालित ग्राउंड सिस्टम
- समुद्री व थल-आधारित रडार नेटवर्क
तकनीक जो इसे खास बनाती है
- AI कमांड एंड कंट्रोल: निर्णय लेने की क्षमता इंसानों से कई गुना तेज।
- लेजर गाइडेड इंटरसेप्टर्स: दुश्मन की मिसाइल को उसकी उड़ान के दौरान ही जड़ से खत्म कर देने की क्षमता।
- सैटेलाइट-नेटवर्क ट्रैकिंग: अंतरिक्ष में फैला रियल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम जो हर एक लॉन्च को पकड़ सकेगा।
- साइबर सिक्योरिटी शील्ड: डिजिटल हमलों को नाकाम करने के लिए एनक्रिप्टेड सिक्योरिटी लेयर।
कितनी बड़ी है ये डील?
हालांकि शुरुआत में इसकी लागत $175 अरब डॉलर बताई गई है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसका फाइनल खर्च $500–$900 अरब डॉलर तक जा सकता है अमेरिका की संसद ने शुरुआती चरण के लिए $25 अरब डॉलर की राशि पहले ही मंजूर कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- चीन ने इस प्रोजेक्ट की आलोचना करते हुए इसे अंतरिक्ष के सैन्यीकरण की दिशा में खतरे की घंटी बताया है।
- कनाडा और इजरायल जैसे सहयोगी देशों ने इस योजना में तकनीकी साझेदारी की रुचि दिखाई है।
- कुछ देशों ने यह आशंका जताई है कि इस तरह की प्रणाली भविष्य में हथियारों की अंतरराष्ट्रीय दौड़ को और भड़का सकती है।
नेतृत्व और भागीदार
इस प्रोजेक्ट की कमान अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गेटलिन के हाथों में है इस परियोजना में SpaceX, Lockheed Martin और L3Harris Technologies जैसी बड़ी कंपनियां तकनीकी साझेदार के रूप में सामने आई हैं।
चुनौतियाँ क्या हैं?
- तकनीकी जटिलता: इतनी उन्नत अंतरिक्षीय प्रणाली को कामयाबी तक ले जाना आसान नहीं।
- बजट पास कराना: अमेरिकी संसद में हर चरण पर भारी बहस की संभावना।
- भविष्य के वैश्विक संतुलन पर असर: इस सिस्टम से सामरिक शक्ति का पलड़ा अमेरिका की ओर झुक सकता है जिससे कूटनीतिक खिंचाव भी पैदा हो सकता है।
गोल्डन डोम महज़ एक रक्षा प्रणाली नहीं बल्कि 21वीं सदी की सैन्य सोच में क्रांति है अगर यह प्रोजेक्ट तय समय और तकनीकी सफलता के साथ पूरा होता है तो यह अमेरिका को ऐसी रक्षा क्षमता देगा जो आज तक किसी भी देश के पास नहीं है ये कवच अमेरिका को हवाई और अंतरिक्ष से होने वाले हर हमले से न केवल बचाएगा, बल्कि हमलावर को सोचने पर मजबूर भी करेगा।
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