नई दिल्ली।
भारत के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में शामिल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को समर्पित कर रहे हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज – चिनाब ब्रिज और अंजी खाड ब्रिज के साथ-साथ दो हिमालयन वंदे भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई जाएगी।
इन प्रोजेक्ट्स के चालू हो जाने के बाद कश्मीर घाटी अब हर मौसम में रेलमार्ग से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ी रहेगी, जो न केवल आम लोगों बल्कि सेना के लिए भी रणनीतिक रूप से बेहद अहम है।
क्या है चिनाब ब्रिज की खासियत ?

चिनाब ब्रिज को दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल कहा जा रहा है। यह ब्रिज चिनाब नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है यानी पेरिस स्थित एफिल टावर (330 मीटर) से भी ऊंचा।
- लंबाई: 1,315 मीटर
- निर्माण लागत: लगभग ₹1,486 करोड़
- विंड टॉलरेंस: 266 किमी/घंटा की हवा झेलने में सक्षम
- भूकंप रेजिस्टेंस: रिक्टर स्केल पर 8 तक के भूकंप सहने में सक्षम
- उपयोग: यात्री रेल सेवाओं के साथ-साथ सेना के वाहनों के आवागमन के लिए तैयार
ब्रिज को तैयार करने में करीब 29,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है, जो सामान्य पुलों की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है। इसकी अनुमानित उम्र 120 वर्ष तक बताई जा रही है।
रणनीतिक रूप से क्यों है ये प्रोजेक्ट अहम ?
कई सालों से भारी बर्फबारी के दौरान कश्मीर घाटी भारत से पूरी तरह कट जाती थी, जिससे आम लोगों और सेना दोनों को बड़ी परेशानी होती थी। लेकिन इस रेल लिंक के पूरा होने से अब सर्दियों में भी कश्मीर तक सीधी रेल सेवा संभव हो सकेगी। लद्दाख, LOC और LAC जैसे संवेदनशील क्षेत्रों तक सेना की पहुंच में भी यह प्रोजेक्ट अहम भूमिका निभाएगा, जिससे पाकिस्तान और चीन दोनों की निगाहें इस प्रोजेक्ट पर लगी हुई हैं।
अंजी खाड ब्रिज: तकनीक का कमाल

अंजी खाड ब्रिज, चिनाब ब्रिज की तरह ही इस प्रोजेक्ट का दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पुल भारत का पहला पूरी तरह केबल-स्टे ब्रिज है और इसकी ऊंचाई भी चिनाब ब्रिज जितनी ही 359 मीटर है। इसकी बनावट अंग्रेजी के C शेप (arch) जैसी है। यह पुल 213 किमी/घंटा की हवा को झेलने में सक्षम है और 100 किमी/घंटा तक की स्पीड वाली ट्रेनों को सहारा दे सकता है।
वंदे भारत हिमालयन एडिशन: खास तकनीक से लैस

इस परियोजना के साथ दो वंदे भारत ट्रेनें भी शुरू की जाएंगी, जिन्हें विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है
- माइनस 20°C तापमान में चलने की क्षमता
- इंजन वाले कोच में फॉग-रेसिस्टेंट विंडो ग्लास
- कोच के अंदर का तापमान हमेशा स्थिर और गर्म
- हफ्ते में 6 दिन चलेंगी
- श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर तक सेवा शुरू, आगे चलकर जम्मू तक विस्तार होगा
USBRL प्रोजेक्ट: आंकड़ों में एक झलक
- कुल लंबाई: 272 किलोमीटर
- निर्माण लागत: ₹43,780 करोड़
- सुरंगें: 36 (कुल लंबाई 119 किमी)
- पुल: 943
- रेल रूट: उधमपुर → श्रीनगर → बारामूला
यह प्रोजेक्ट न केवल भारत के लिए एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी है — कि चाहे मौसम कोई भी हो, अब कश्मीर तक भारत की पहुंच कभी नहीं रुकेगी।
चिनाब और अंजी खाड ब्रिज जैसे निर्माण न केवल देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं, बल्कि रक्षा तैयारियों को भी अभूतपूर्व मजबूती दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन नई भारत की तकनीकी और सामरिक क्षमता का प्रतीक बन चुका है। अब कश्मीर घाटी सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि हर मौसम में कनेक्टेड भारत की एक मिसाल बन चुकी है।
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