भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ विवाद को लेकर अब सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं दोनों देश जल्द ही एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जिसकी डेडलाइन 8 जुलाई तय मानी जा रही है इसी तारीख को वह 90 दिनों की अवधि खत्म होगी, जिसके दौरान अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ को अस्थायी रूप से रोका गया था।
यह टैरिफ, 10% के बेसलाइन टैक्स के अतिरिक्त लगाया गया था लेकिन अब संभावना है कि एक समझौते के तहत भारत इस भारी-भरकम शुल्क से बच सकता है इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच डील को लेकर बातचीत सकारात्मक मोड़ पर है।
ट्रेड डील को आगे बढ़ाने अमेरिका पहुँचे पीयूष गोयल
भारत की ओर से वार्ता को नया आयाम देने के लिए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल हाल ही में अमेरिका गए थे इसी दौरान अमेरिका और चीन ने भी आपसी व्यापार तनाव को कम करते हुए टैरिफ में कटौती का निर्णय लिया था ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारत और अमेरिका भी जल्द ही इसी तरह का समझौता कर सकते हैं।
बेसलाइन टैरिफ क्या होता है ?
बेसलाइन टैरिफ का मतलब होता है वो न्यूनतम या मूल कस्टम ड्यूटी (import tax) जो एक देश दूसरे देश से आयात होने वाले सामान पर लगाता है जब कोई खास ट्रेड डील या छूट लागू नहीं होती यानि यह शुरुआती या तयशुदा टैक्स रेट है जो सभी देशों पर एक समान या वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) की गाइडलाइन के हिसाब से लागू होता है।
क्या रहेगा बेसलाइन टैरिफ
जहां एक ओर भारत की कोशिश है कि 26% रेसिप्रोकल टैरिफ के साथ-साथ 10% बेसलाइन टैरिफ से भी राहत मिले, वहीं कुछ अधिकारी मानते हैं कि अमेरिका 10% बेसलाइन शुल्क को बनाए रख सकता है अमेरिका ने इससे पहले ब्रिटेन के साथ हुए समझौते में भी यही मॉडल अपनाया था भारत की मांग है कि कपड़ा और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर्स को इस समझौते में प्राथमिकता दी जाए और इन पर टैरिफ में छूट दी जाए जिससे निर्यातकों को राहत मिल सके।
अंतरिम समझौते की संभावना के चलते भारत के लिए यह मौका है कि वह टैरिफ विवाद को खत्म कर, अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करे अब सबकी निगाहें 8 जुलाई पर टिकी हैं क्या भारत इस टैरिफ संकट से बाहर निकलेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।
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