लंदन/नई दिल्ली।
किंगफिशर एयरलाइंस के संस्थापक और कारोबारी विजय माल्या ने लगभग एक दशक की चुप्पी तोड़ते हुए हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों, जीवन की चुनौतियों और भारत छोड़ने के पीछे की असल वजह पर खुलकर बात की। राज शमानी के यूट्यूब चैनल पर चार घंटे के इस इंटरव्यू में माल्या ने खुद को “भगोड़ा” कहे जाने पर नाराजगी जताई और दावा किया कि उन्होंने कभी देश से भागने की साजिश नहीं की।
“अरुण जेटली को बताया था कि जा रहा हूं”
माल्या के मुताबिक, वह 2 मार्च 2016 को जेनेवा में एक FIA मीटिंग के लिए लंदन रवाना हुए थे और इसके बारे में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को सूचित भी किया गया था। उन्होंने कहा, “पासपोर्ट रद्द होने के कारण मैं वहीं फंस गया। अगर मैं भाग रहा होता, तो किसी को बताता क्यों?” उन्होंने खुद को “भगोड़ा” कहे जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि उन्हें “चोर” कहना एकतरफा और गलत है।
“छोटे पद से शुरुआत, मेहनत से बनाया साम्राज्य”
बातचीत में माल्या ने बताया कि उन्होंने UB ग्रुप में सिर्फ ₹400 की मासिक तनख्वाह पर ट्रेनी के तौर पर काम शुरू किया था। 18 साल की उम्र में उन्हें एक छोटी कंपनी का CEO बनाया गया और 27 साल की उम्र में पिता के निधन के बाद उन्होंने पूरी ग्रुप की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में किंगफिशर बीयर, मैकडॉवेल्स व्हिस्की और बर्जर पेंट्स जैसे ब्रांड्स देश-दुनिया में मजबूत हुए।
किंगफिशर एयरलाइंस क्यों डूबी ?
2005 में किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत को माल्या ने “बेटे के 18वें जन्मदिन पर दिया गया सपना” बताया। उन्होंने कहा कि एयरलाइन शुरुआती वर्षों में सफल रही, लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट, ईंधन लागत, टैक्स और विदेशी निवेश की कमी ने कंपनी की रीढ़ तोड़ दी। उन्होंने बताया कि UB ग्रुप से ₹3,000 करोड़ लगाए जाने के बावजूद एयरलाइन 2012 में बंद करनी पड़ी।
“बकाया सैलरी देने में विफल रहा, पर कोशिश की थी”
अपने कर्मचारियों की लंबित सैलरी को लेकर माल्या ने खेद जताया और कहा कि उन्होंने कोर्ट से ₹260 करोड़ रिलीज करने की याचिका भी दायर की थी, लेकिन बैंकों की आपत्तियों के कारण वह पैसा नहीं मिल सका। “मेरे पास कोई बहाना नहीं, लेकिन प्रयास जरूर किया,” माल्या ने कहा।
बैंकों से लिया कर्ज और संपत्ति की वसूली
माल्या के अनुसार, उन्होंने 17 बैंकों से ₹6,200 करोड़ का कर्ज लिया था, जबकि बैंकों ने अब तक ₹14,000 करोड़ से अधिक की रिकवरी की है। “मैंने चार बार सेटलमेंट का ऑफर दिया, जिसमें ₹5,000 करोड़ का प्रस्ताव भी शामिल था, लेकिन बैंक मानने को तैयार नहीं हुए,”
CBI-ED के आरोपों पर जवाब
CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा लगाए गए मनी लॉन्ड्रिंग और ब्रांड वैल्यू से जुड़े आरोपों पर माल्या ने कहा कि ये सभी एकतरफा और भ्रम पैदा करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि एयरलाइन की 50% लागत विदेशी करेंसी में थी और उसे मनी लॉन्ड्रिंग कहना बेहुदा है।
“भारत की नौकरशाही में व्यापार करना आसान नहीं”
माल्या का मानना है कि भारत में कारोबार करना काफी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 29 राज्यों की अलग-अलग नीतियों और चुनावी राजनीति ने व्यापारियों पर दबाव डाला। राजनीति में शराब की मांग होती थी, मैंने कभी रिश्वत नहीं दी, सिर्फ अपनी कंपनी का प्रोडक्ट दिया|
आज का जीवन और भविष्य की राह
माल्या फिलहाल लंदन में रहते हैं और विदेशी शराब कंपनियों से मिलने वाली आय से जीवनयापन करते हैं। उन्होंने बताया कि वह कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं और अगर भारत लौटना पड़ा, तो जेल का सामना भी करेंगे।
“चोर नहीं, मेहनती उद्यमी के रूप में याद किया जाऊं”
आख़िर में माल्या ने कहा कि वे खुद को उस शख्स के रूप में याद किया जाना चाहते हैं जिसने 1.75 लाख करोड़ की मार्केट कैप वाली कंपनी खड़ी की। “बिजनेस फेल होना अपराध नहीं है, लेकिन भारत में इसे धोखाधड़ी मान लिया जाता है|
नोट: यह रिपोर्ट राज शमानी के पॉडकास्ट पर आधारित है। इसमें माल्या द्वारा किए गए दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे सभी पक्षों को ध्यान में रखकर अपनी राय बनाएं।
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