डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/भोपाल।
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कुंवर विजय शाह को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलती दिख रही है उच्चतम न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक के अपने पहले के आदेश को बढ़ाते हुए अब यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कोई सुनवाई नहीं होगी, क्योंकि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की प्रत्यक्ष निगरानी में है।
क्या है पूरा मामला ?
मामला जुड़ा है हालिया हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसमें शामिल रही भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के संदर्भ में मंत्री विजय शाह की कथित विवादित टिप्पणी से मीडिया में बयान देते वक्त शाह पर आरोप लगे कि उन्होंने एक महिला सैन्य अधिकारी को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और मामला तेजी से राजनीतिक बहस का विषय बन गया।
सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला क्या कहता है ?
बुधवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि चूंकि मामला अब सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है, इसलिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चल रही समांतर कार्यवाही बंद की जाए। साथ ही कोर्ट ने 19 मई को जारी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक की अवधि को भी जुलाई के दूसरे सप्ताह तक बढ़ा दिया है, जब अगली सुनवाई निर्धारित की गई है।
जांच अब एसआईटी के हवाले
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) इस पूरे मामले की जांच कर रही है DIG स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में बनाई गई टीम ने अब तक कई गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और कुछ तकनीकी उपकरण जब्त किए हैं सुप्रीम कोर्ट ने SIT से अब तक की जांच पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कोर्ट की मंशा: राजनीतिकरण से बचें
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहता। कोर्ट ने किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति से साफ इनकार किया और कहा कि “यह एक संवेदनशील विषय है, और इस पर निष्पक्ष जांच जरूरी है।”
पृष्ठभूमि: हाईकोर्ट में क्या हुआ
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इस मामले में कड़ी टिप्पणी की थी कोर्ट ने विजय शाह को गटर जैसी भाषा के लिए फटकार लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था इसके बाद विजय शाह ने सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगते हुए खेद व्यक्त किया, और कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाएं आहत करना नहीं था।
अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह खुद इस मुद्दे की निगरानी करेगा, तो राज्य स्तरीय अदालतों में कोई और कार्यवाही नहीं होगी आगामी जुलाई में अगली सुनवाई के साथ इस संवेदनशील मामले की दिशा और स्थिति तय होगी|
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