भारतीय टेस्ट क्रिकेट का एक शांत लेकिन ठोस चेहरा रहे चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार उस सवाल पर अपनी चुप्पी तोड़ी है, जो अक्सर उनके नाम के साथ जुड़ता रहा है कप्तानी क्यों नहीं मिली ? 13 साल के लंबे करियर में भारतीय टीम की कप्तानी से दूर रहे पुजारा ने अब साफ किया है कि उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है।
टीम से बाहर, लेकिन नजरें क्रिकेट पर टिकीं
पुजारा 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद से टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं इंग्लैंड दौरे के लिए उनका चयन लगभग तय नहीं माना जा रहा है और खुद पुजारा ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह इस दौरे के लिए उपलब्ध नहीं हैं फिर भी, क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और सोच आज भी उतनी ही मजबूत है।
“कप्तानी मांगने की चीज नहीं” – पुजारा
स्पोर्ट्स तक के पॉडकास्ट Vikrant Unfiltered में बातचीत करते हुए पुजारा ने बताया कि उन्होंने कभी कप्तानी को लेकर शिकायत नहीं की उनके मुताबिक, कप्तानी वो भूमिका है जो दी जाती है, मांगी नहीं जाती अगर आपको वह नहीं मिलती तो इसका मतलब यह नहीं कि आपकी क्षमता कम है। उन्होंने यह भी बताया कि चाहे इंडिया ए हो, ससेक्स काउंटी क्लब या फिर घरेलू क्रिकेट में सौराष्ट्र हर जगह उन्होंने कप्तान या सीनियर खिलाड़ी की भूमिका को पूरी जिम्मेदारी से निभाया है।
धोनी से लेकर रोहित तक – चार कप्तानों का अनुभव
पुजारा ने अपने करियर में महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा जैसे कप्तानों के साथ खेला है हर कप्तान के अलग-अलग स्टाइल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा:
- धोनी: माही भाई बहुत शांत रहते थे वो खिलाड़ियों को तनाव नहीं लेने देते थे।
- कोहली: विराट बहुत आक्रामक थे जीत का जुनून उनमें साफ दिखता था, खासकर विदेशी सीरीज में।
- रहाणे: बहुत संयमित और सोच-समझकर निर्णय लेने वाले कप्तान थे उनके साथ मेरी अच्छी बातचीत होती थी, खासकर जब मैं उपकप्तान था।
- रोहित शर्मा: वो बहुत खुले तौर पर बात करते हैं, टीम में दोस्ताना माहौल रखते हैं।
भूमिका से नहीं, योगदान से फर्क पड़ता है
चेतेश्वर पुजारा ने साफ किया कि वह अपने करियर से संतुष्ट हैं कप्तानी न मिलने का कोई गिला नहीं है क्योंकि उन्होंने हर बार टीम की सफलता में अपनी भूमिका निभाने की कोशिश की है चाहे वो रन बनाकर हो, शांत सलाह देकर या मैदान में उदाहरण पेश कर।
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