नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है, जिनमें देवी धूमावती सातवीं महाविद्या मानी जाती हैं। हर वर्ष ज्येष्ठ मास की शुक्ल अष्टमी तिथि को उनका प्राकट्य दिवस मनाया जाता है, जिसे धूमावती जयंती कहा जाता है। देवी धूमावती का स्वरूप अन्य देवियों से बिल्कुल अलग है वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं, उनके बाल बिखरे होते हैं और वे एक कौवे की सवारी करती हैं। उन्हें विधवा रूप में पूजा जाता है, जो अपने आप में एक दुर्लभ और रहस्यमय धार्मिक परंपरा है।
धूमावती कौन हैं ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी धूमावती को महाकाली के उग्र और विकराल रूप के रूप में देखा जाता है। वे ऐसे समय की प्रतीक हैं, जब सृष्टि का अंत हो चुका होता है और संसार केवल धुएं और राख में बदल चुका होता है। मान्यता है कि प्रलयकाल में जब सारे देव, समय और प्रकृति समाप्त हो जाते हैं, तब भी देवी धूमावती मौजूद रहती हैं। उन्हें जीवन की विरक्ति, वैराग्य, और अंत की चेतना का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि गुप्त नवरात्रि और तंत्र साधना में उनकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
देवी को विधवा के रूप में क्यों पूजा जाता है ?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती को तीव्र भूख लगी और उन्होंने भगवान शिव से भोजन की मांग की। लेकिन शिव समाधि में लीन थे और कोई उत्तर नहीं दिया। अंततः भूख से व्याकुल होकर देवी ने महादेव को ही निगल लिया। इस घटना के बाद उनके शरीर से विष के प्रभाव के कारण धुआं निकलने लगा और उनका स्वरूप अत्यंत भयावह हो गया। शिव ने इस रूप को देखकर कहा, अब से तुम्हें धूमावती कहा जाएगा, और चूंकि यह रूप तुमने मुझे निगलने के बाद प्राप्त किया है, इसलिए यह स्वरूप ‘विधवा’ का होगा, और तुम्हारी पूजा भी उसी रूप में की जाएगी।
धूमावती जयंती पर पूजा कैसे करें ?
धूमावती जयंती के दिन भक्तों को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद घर या मंदिर में देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और निम्न सामग्रियों से पूजन करें:
- गंगाजल से शुद्धिकरण
- सफेद वस्त्र, काले तिल, नीम की पत्तियां
- धूप, दीप, पुष्प, सिंदूर, कुमकुम, नैवेद्य
- देवी की कथा पढ़ें या सुनें
- विशेष बीज मंत्र का जाप करें
पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना और संकटों से मुक्ति की कामना के साथ करें।
देवी धूमावती के मंत्र
धूमावती की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करना विशेष लाभकारी माना गया है
- ॐ धुं धुं धूमावत्यै फट्
- धूम्र मतिव सतिव पूर्णत सा सयुगमे
- सौभाग्य सदैव दयालु रहें
- धू धू धूमावती ठः ठः
किसे करनी चाहिए धूमावती की पूजा ?
जिन लोगों के जीवन में बार-बार बाधाएं आती हैं, बीमारियां पीछा नहीं छोड़तीं, या मानसिक शांति नहीं मिलती, उनके लिए देवी धूमावती की पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है। हालांकि साधकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह पूजा बेहद शक्तिशाली मानी जाती है और इसे सच्ची श्रद्धा और सावधानी के साथ करना चाहिए।
ध्यान रखें: देवी धूमावती प्रसन्न हो जाएं तो भक्त को समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है, लेकिन यदि नाराज़ हो जाएं तो जीवन में गंभीर उलझनें आ सकती हैं।
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