भारत की धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं सदियों से लोगों को आध्यात्मिकता से जोड़ती आई हैं देशभर में कई मंदिर अपने चमत्कारी शक्तियों और अनोखे नियमों के कारण श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित श्राई कोटि माता मंदिर भी ऐसा ही एक रहस्यमयी स्थल है जहां एक विशेष परंपरा के तहत पति और पत्नी एक साथ मंदिर में पूजा नहीं कर सकते।
कहां स्थित है यह मंदिर ?
श्राई कोटि माता मंदिर हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत पहाड़ियों में, रामपुर तहसील के अंतर्गत एक शांत वातावरण में स्थित है प्रकृति की गोद में बसे इस मंदिर का नज़ारा जितना मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, इसकी धार्मिक परंपराएं भी उतनी ही रहस्यमयी और अनोखी हैं।
एक साथ दर्शन क्यों नहीं कर सकते दंपति ?
इस नियम के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा है जो भगवान कार्तिकेय से जुड़ी है मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जीवनभर अविवाहित रहने का संकल्प लिया था जब माता पार्वती को उनके इस निर्णय का पता चला, तो उन्होंने क्रोधित होकर यह श्राप दिया कि जो भी पति-पत्नी इस स्थान पर एक साथ दर्शन करेंगे, वे अलग हो जाएंगे।
इसी कारण आज भी विवाहित जोड़े यहां माता के दर्शन करने तो आते हैं, लेकिन एक साथ नहीं वे मंदिर परिसर में अलग-अलग होकर पूजा करते हैं और माता से अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।
मंदिर की धार्मिक महत्ता
हालांकि यह मंदिर देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में औपचारिक रूप से शामिल नहीं है, लेकिन स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा इसे शक्तिपीठ जैसी ही मान्यता प्रदान करती है नवरात्रि के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं इसके बावजूद इस प्राचीन परंपरा का पालन हर स्थिति में किया जाता है।
प्राकृतिक और आध्यात्मिक अनुभव का संगम
श्राई कोटि माता मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से बल्कि प्राकृतिक दृष्टि से भी बेहद समृद्ध है यहां की शांति, हरियाली और ऊंची पहाड़ियों के बीच मंदिर का वातावरण श्रद्धालुओं को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
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