भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित विनायक चतुर्थी का पर्व इस वर्ष 30 मई 2025 को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है और इसे विघ्नहर्ता गणेश जी की विशेष आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर भक्तगण विशेष पूजा करते हैं और अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने की कामना करते हैं।
विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 मई को रात 11:18 बजे से होगी और यह समाप्त होगी 30 मई को रात 9:22 बजे। चूंकि पूजा उदया तिथि के अनुसार होती है, इसलिए विनायक चतुर्थी 30 मई 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
गणेश पूजन की विधि: कैसे करें बप्पा को प्रसन्न
प्रतिमा स्थापना और पूजन
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। एक चौकी पर लाल या पीले कपड़े को बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, अक्षत, रोली, मौली, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
दूर्वा अर्पण का महत्व
भगवान गणेश को दूर्वा घास अत्यंत प्रिय है मान्यता है कि चतुर्थी के दिन 21 गांठ दूर्वा अर्पित करने से विशेष पुण्य मिलता है मंत्र ॐ गं गणपतये नमः का जाप करते हुए दूर्वा चढ़ाना विशेष फलदायक होता है।
मोदक या लड्डू का भोग
गणपति को मोदक विशेष रूप से प्रिय हैं। यदि मोदक उपलब्ध न हों, तो बूंदी के लड्डू या कोई अन्य मिठाई अर्पित की जा सकती है। भोग अर्पण के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटें।
मंत्र जाप और ध्यान
विनायक चतुर्थी के दिन गणेश मंत्रों का जाप करने से जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सुख-शांति आती है। विशेषतः “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जप करने की सलाह दी जाती है।
इन कार्यों से बरसेगी बप्पा की कृपा
दान और सेवा
चतुर्थी के दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इससे न केवल गणेश जी प्रसन्न होते हैं, बल्कि घर में लक्ष्मी का वास भी होता है।
मन की शुद्धता और सकारात्मक सोच
इस दिन गुस्सा, ईर्ष्या या नकारात्मकता जैसे भावों से दूर रहें। शांत चित्त से भगवान गणेश का ध्यान करें और मन में सभी के लिए शुभकामनाएं रखें।
शास्त्रीय मान्यता
मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर की गई पूजा सभी प्रकार की बाधाओं को समाप्त करती है। भगवान गणेश को सिद्धि, बुद्धि और समृद्धि का दाता माना गया है, अतः उनका आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।
Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय अवधारणाओं पर आधारित है इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक जानकारी देना है। किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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