नींद के दौरान आने वाले भयानक सपने सिर्फ एक डर नहीं, बल्कि मानसिक और न्यूरोलॉजिकल बदलावों का संकेत भी हो सकते हैं
हम सभी ने कभी न कभी ऐसा अनुभव किया है रात को सोते वक्त अचानक किसी डरावने सपने से आंख खुल जाती है दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और दोबारा नींद आना मुश्किल हो जाता है इस अनुभव को ‘नाइटमेयर’ कहा जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये डरावने सपने आखिर आते क्यों हैं? क्या ये केवल कल्पना का हिस्सा हैं या फिर हमारे मस्तिष्क और मानसिक स्थिति से कोई गहरा संबंध है |
वैज्ञानिकों की मानें तो डरावने सपनों का कारण आज भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है लेकिन मस्तिष्क पर हुई रिसर्च और नींद के पैटर्न को लेकर कई ऐसे फैक्ट्स सामने आए हैं जो इसकी संभावित वजहों की ओर इशारा करते हैं। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक, जब हमारी नींद का वह चरण आता है जिसे REM (Rapid Eye Movement) कहा जाता है तब सपने अधिक आते हैं और अगर यह अवधि ज्यादा लंबी हो तो व्यक्ति को बुरे या डरावने सपने आने की संभावना भी बढ़ जाती है|
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का संबंध
दिमागी तनाव (Mental Stress) और भावनात्मक अस्थिरता नाइटमेयर्स का एक बड़ा कारण माने जाते हैं यदि व्यक्ति किसी ट्रॉमा, गहरे दुख, या जीवन में बड़े परिवर्तन से गुजर रहा हो जैसे किसी अपने की मृत्यु, नौकरी छूटना या तलाक तो उसके अवचेतन मन में इसका असर सपनों के रूप में उभर सकता है PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) वाले लोगों में भी बुरे सपनों का जोखिम ज्यादा देखा गया है साथ ही डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों में भी नाइटमेयर की संभावना अधिक रहती है।
दवाइयों और जीवनशैली का असर
कुछ प्रकार की दवाइयां जैसे एंटी-डिप्रेसेंट्स या नींद की गोलियां और REM नींद को प्रभावित करती हैं और सपनों की प्रकृति को बदल सकती हैं इसके अलावा अत्यधिक कैफीन, अल्कोहल, या नींद का असामान्य पैटर्न भी सपनों को अधिक विचलित और डरावना बना सकता है।
समाधान क्या है?
अगर आप बार-बार डरावने सपनों से परेशान हैं तो इसकी अनदेखी न करें इसकी रोकथाम के लिए कुछ प्रभावी उपायों में शामिल हैं:
- Relaxation Techniques: योग, ध्यान, डीप ब्रीदिंग
- Sleep Therapy: प्रोफेशनल काउंसलिंग से मदद लेना
- Sleep Hygiene: नियमित नींद का समय, कैफीन कम करना, स्क्रीन टाइम घटाना
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