बार-बार चक्कर आना मामूली नहीं, वर्टिगो हो सकता है – जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

नई दिल्ली – क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि अचानक खड़े होते ही पूरा कमरा घूमने लगा ? या सिर झुकाते ही असंतुलन पैदा हो गया ? अगर ऐसा बार-बार हो रहा है, तो इसे केवल कमजोरी मानकर नज़रअंदाज़ न करें। यह वर्टिगो (Vertigo) नाम की समस्या हो सकती है, जिसमें व्यक्ति को लगने लगता है कि वह या उसके आस-पास की चीज़ें घूम रही हैं, जबकि असल में ऐसा कुछ नहीं होता। गर्मियों के मौसम में यह समस्या और अधिक गंभीर हो जाती है आइए जानें कि वर्टिगो क्या होता है, क्यों होता है, और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।

वर्टिगो क्या है और कैसे असर करता है शरीर पर ?

वर्टिगो कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक लक्षण है जो शरीर के बैलेंस सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से होता है। डॉ. अनीता भंडारी, जो बैलेंस डिसऑर्डर्स में विशेषज्ञ हैं, बताती हैं कि हमारे कान न सिर्फ सुनने बल्कि संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं कान के अंदर छोटे क्रिस्टल्स, तरल पदार्थ और नर्व होती हैं जो शरीर के मूवमेंट और संतुलन को कंट्रोल करती हैं। जब ये क्रिस्टल्स अपनी जगह से खिसक जाते हैं या बैलेंस नर्व में कोई गड़बड़ी आ जाती है, तो चक्कर आना शुरू हो जाता है उठने-बैठने, सिर घुमाने या झुकने पर यह और भी अधिक महसूस होता है।

वर्टिगो के संभावित कारण

  • कान के अंदर कैल्शियम कणों का हिलना, जो अक्सर चोट, गिरने या अचानक मूवमेंट के कारण होता है।
  • कैल्शियम और विटामिन D की कमी, जिससे बैलेंस सिस्टम कमजोर हो जाता है।
  • बैलेंस नर्व में संक्रमण (Vestibular Neuritis), जिससे सिर घुमाने पर तेज़ चक्कर और उल्टी हो सकती है।
  • वेस्टिबुलर माइग्रेन, जिसमें सिरदर्द के साथ चक्कर और फोकस की समस्या होती है।

गर्मियों में क्यों बढ़ती है वर्टिगो की समस्या ?

गर्मी का मौसम वर्टिगो से पीड़ित लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • तेज़ धूप और लू से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो जाता है
  • डिहाइड्रेशन और कम पानी पीने से सिर भारी लगता है
  • ज़्यादा कैफीन (चाय-कॉफी) लेने से बैलेंस सिस्टम पर बुरा असर
  • तेज़ रोशनी, शोर और स्क्रीन टाइम से ट्रिगर हो सकता है माइग्रेन
  • स्क्रॉलिंग या गेमिंग से बढ़ती है आंख और मस्तिष्क की थकान

सफर के दौरान वर्टिगो से कैसे बचें?

गर्मियों में यात्रा के दौरान वर्टिगो या मोशन सिकनेस होना आम बात है, खासकर माइग्रेन से जूझ रहे लोगों में। इससे निपटने के लिए:

  • ट्रैवल से पहले डॉक्टर की सलाह लेकर प्रिवेंटिव दवा लें
  • बहुत भारी खाना न खाएं
  • सनग्लासेस और हैट का इस्तेमाल करें
  • कार या बस में खिड़की के पास बैठें, ताकि हवा लगती रहे
  • स्क्रीन देखने से बचें और गाड़ी की मूवमेंट के साथ सिर सीधा रखें

इलाज और एक्सरसाइज़ से मिल सकती है राहत

वर्टिगो के लिए अक्सर दवा की नहीं, बल्कि एक्सरसाइज़ की जरूरत होती है स्पेशल पोजिशनिंग एक्सरसाइज़ के ज़रिए कान के अंदर फंसे क्रिस्टल्स को सही जगह पहुंचाया जा सकता है ये एक्सरसाइज़ घर पर भी की जा सकती हैं, लेकिन किसी एक्सपर्ट की देखरेख में शुरू करना बेहतर होता है। अगर वर्टिगो का कारण इंफेक्शन या माइग्रेन है, तो डॉक्टर की सलाह से दवा दी जाती है सही डायग्नोसिस के लिए मेडिकल जांच ज़रूरी है।

ध्यान रखें – चक्कर आना हमेशा हल्का संकेत नहीं होता

अगर आपको बार-बार चक्कर आते हैं, सिर भारी लगता है, बैलेंस बिगड़ता है या उल्टियां होती हैं, तो इसे अनदेखा न करें यह वर्टिगो हो सकता है, और इसका इलाज संभव है बस सही समय पर ध्यान देने की जरूरत है।

(नोट: यहां दी गई जानकारी विशेषज्ञ के अनुभव पर आधारित है किसी भी लक्षण या इलाज को खुद से अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)

Written by Sharad Shrivastava

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