नई दिल्ली।
हर साल 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हमें सिर्फ पेड़ लगाने या कचरा कम करने की याद नहीं दिलाता, बल्कि यह दिन हमारे जीवन की हर आदत पर दोबारा सोचने का मौका भी देता है खासकर हमारी खानपान की आदतों पर। क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी थाली में रखा खाना पर्यावरण पर कैसा असर डालता है ?
आज के दौर में हेल्दी और सस्टेनेबल डाइट का मतलब है ऐसे फूड्स खाना जो पोषण से भरपूर हों, और उन्हें उगाने, प्रोसेस करने या ट्रांसपोर्ट करने में प्रकृति को कम नुकसान हो। ऐसे ही कुछ सुपरफूड्स की सूची हम लेकर आए हैं जो आपके शरीर और धरती दोनों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।
1. मिलेट्स (बाजरा, ज्वार, रागी): देसी अनाज, स्मार्ट चॉइस
भारत की पारंपरिक खेती में शामिल ये मोटे अनाज अब सुपरफूड बन चुके हैं। बाजरा, ज्वार और रागी न सिर्फ ग्लूटेन-फ्री होते हैं, बल्कि कम पानी में उगते हैं, जिससे भूजल की बचत होती है। इनमें फाइबर, आयरन, प्रोटीन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है।
2. दालें और फलियां (Legumes): प्लांट-बेस्ड प्रोटीन का खजाना
चना, मूंग, अरहर, मसूर जैसी दालें भारत के हर घर में मिलती हैं। ये न केवल हाई प्रोटीन होती हैं, बल्कि नाइट्रोजन फिक्सिंग की वजह से मिट्टी को भी उपजाऊ बनाती हैं। पशु आधारित प्रोटीन के मुकाबले ये कहीं ज्यादा पर्यावरण-अनुकूल हैं।
3. सीजनल फल और सब्जियां: प्रकृति के हिसाब से खाएं
जो फल या सब्जी जिस मौसम में मिलती है, वही खाना सबसे बेहतर होता है। ये बिना अत्यधिक पेस्टीसाइड्स के उगते हैं, ज्यादा ट्रांसपोर्ट की जरूरत नहीं होती और शरीर भी इन्हें आसानी से पचा पाता है। साथ ही, बाजार में सस्ती भी होती हैं।
4. स्थानीय (लोकल) उत्पाद: ग्लोबल नहीं, वोकल बनें
लोकल फूड्स का मतलब है अपने आसपास के किसानों और उत्पादकों से खरीदी गई चीज़ें। ये ताजा होती हैं, कम पैकिंग और कम ट्रांसपोर्ट लागत वाली होती हैं, जिससे कार्बन फुटप्रिंट भी घटता है।
5. नट्स और बीज (Seeds & Nuts): छोटे पैक में बड़ा पोषण
अखरोट, बादाम, चिया, अलसी, सूरजमुखी के बीज — इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और फाइबर भरपूर होता है। इनका उत्पादन तुलनात्मक रूप से कम जगह और संसाधनों में संभव है। साथ ही, ये लंबे समय तक स्टोर भी किए जा सकते हैं।
6. प्लांट-बेस्ड दूध (सोया, ओट्स, बादाम): डेयरी का इको-फ्रेंडली विकल्प
पारंपरिक डेयरी उद्योग न केवल पानी की अत्यधिक खपत करता है, बल्कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। इसके मुकाबले, प्लांट-बेस्ड मिल्क विकल्प न सिर्फ हल्के होते हैं बल्कि ग्रह के लिए बेहतर भी हैं।
7. फर्मेंटेड फूड्स (Idli, Kanji, Dhokla): पेट के लिए बेहतर, प्रकृति के लिए सरल
प्राकृतिक फर्मेंटेशन से बने ये फूड्स न केवल पाचन में मदद करते हैं, बल्कि इनका उत्पादन भी लो-एनर्जी प्रोसेसिंग से होता है। इनमें प्रोबायोटिक गुण भी होते हैं, जो आपकी गट हेल्थ के लिए जरूरी हैं।
8. जैविक (ऑर्गेनिक) फूड्स: कैमिकल्स से आजादी
ऑर्गेनिक खेती में केमिकल फर्टिलाइज़र और पेस्टीसाइड्स का उपयोग नहीं होता। इससे न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि खाने में भी टॉक्सिन्स की मात्रा नहीं होती। हालांकि ये थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन सेहत और धरती दोनों के लिए बेहतर है।
9. होमग्रोन किचन गार्डन सब्जियां
अगर आपके पास बालकनी, छत या आंगन है तो टमाटर, धनिया, पालक जैसी सब्जियां खुद उगाएं। इससे न केवल आप ताजी सब्जियां खाएंगे, बल्कि प्लास्टिक पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन एमिशन से भी बच सकेंगे।
10. कम प्रोसेस्ड फूड्स: पैकिंग में नहीं, प्लेट में सादगी
रेडीमेड और प्रोसेस्ड फूड्स की पैकेजिंग में भारी मात्रा में प्लास्टिक और रसायन उपयोग होता है। इनकी जगह घर का बना ताजा खाना न सिर्फ हेल्दी होता है, बल्कि सस्टेनेबल भी।
World Environment Day 2025 सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का दिन नहीं है, यह अपनी लाइफस्टाइल को रीथिंक करने का दिन है। जब हम अपने खाने के चुनाव को सस्टेनेबल बनाते हैं, तो यह छोटा कदम एक बड़ी सकारात्मक दिशा में बढ़ता है जहां शरीर स्वस्थ, सोच साफ़ और पृथ्वी हरी-भरी बनी रहती है।
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