भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भोपाल में दिए गए तीखे बयान के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राहुल गांधी के बयान को अभद्र, अमर्यादित और असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की भाषा का उपयोग करना न सिर्फ विपक्ष के स्तर को दर्शाता है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक मर्यादाओं का भी अपमान है।
बयान दुर्भाग्यपूर्ण, राहुल को माफी मांगनी चाहिए — सीएम मोहन यादव
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, राहुल गांधी को प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्हें इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए उनका यही व्यवहार बताता है कि वे आज भी परिपक्व नहीं हुए हैं, और शायद यही वजह है कि लोग उन्हें ‘पप्पू’ कहते हैं। उन्होंने आगे जोड़ा कि विपक्ष के नेता जब इस तरह की बातें सार्वजनिक मंचों से करते हैं, तो वह न सिर्फ अपनी छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि देश की गरिमा पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
कांग्रेस को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी — मुख्यमंत्री का कड़ा रुख
डॉ. यादव ने कहा कि जब कांग्रेस के ही नेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय सेना और प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता की तारीफ कर रहे हैं, ऐसे में राहुल गांधी का यह बयान उनकी पार्टी की दिशाहीन राजनीति को उजागर करता है उन्होंने कहा, इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयानों से कांग्रेस खुद को ही नुकसान पहुंचा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी को जनता के सामने इसका जवाब देना पड़ेगा|
भोपाल में क्या बोले थे राहुल गांधी ?
भोपाल दौरे के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था डोनाल्ड ट्रंप का एक फोन आया और नरेंद्र मोदी जी तुरंत झुक गए। ये BJP-RSS का चरित्र है, थोड़ा सा दबाव डालो तो ये डर जाते हैं और भाग खड़े होते हैं। राहुल ने यह भी कहा कि वह आरएसएस और बीजेपी की मानसिकता को भलीभांति जानते हैं, और इतिहास भी यही दर्शाता है कि ये लोग संकट में टिक नहीं पाते।
राजनीतिक तापमान बढ़ा
राहुल गांधी और पीएम मोदी के बीच बयानबाज़ी का यह सिलसिला अब कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टकराव में बदलता जा रहा है खासतौर पर मध्य प्रदेश जैसे चुनावी राज्य में यह विवाद आने वाले समय में सियासी रणनीतियों को काफी प्रभावित कर सकता है।
राहुल गांधी के बयान ने एक बार फिर राजनीति में भाषा की मर्यादा पर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर विपक्ष सरकार की आलोचना को अपना अधिकार मानता है, वहीं सत्ता पक्ष इसे देश की गरिमा पर चोट मानता है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह सियासी जंग किस दिशा में बढ़ती है।
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