MP में जातीय जनगणना को लेकर गरमाई सियासत, वीडी शर्मा ने कांग्रेस पर साधा निशाना – कांग्रेस ने दिया करारा जवाब

भोपाल। मध्य प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है और इस बार केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित जातीय जनगणना की घोषणा इसके केंद्र में है। एक ओर जहां इस मुद्दे को लेकर देशभर में राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, वहीं एमपी में भी इसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं।

वीडी शर्मा का कांग्रेस पर हमला: फूट डालो और शासन करो कांग्रेस की पुरानी नीति

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया उनका कहना है कि, कांग्रेस की राजनीति शुरू से ही समाज को बांटने और भ्रम फैलाने की रही है जातिगत जनगणना कराने की बात अगर किसी ने सबसे पहले की है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। मोदी सरकार इस काम को लेकर गंभीर है और पूरी पारदर्शिता के साथ इसे आगे बढ़ा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति पर काम करती है और उसके पास जनकल्याण का कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं है।

सृजन नहीं, केवल विसर्जन करती है कांग्रेस

वीडी शर्मा ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि, “हमारी सरकार का उद्देश्य विकास और सृजन है। लेकिन कांग्रेस जहां भी जाती है, वहां सिर्फ अव्यवस्था और विभाजन का बीज बोती है। उनके नेता जब भी आते हैं, तो कोई समाधान नहीं लाते, सिर्फ पुराने जख्मों को कुरेदने का काम करते हैं। उनका कहना था कि भाजपा की नीति स्पष्ट है विकास आधारित राजनीति। जातीय जनगणना को लेकर भ्रम फैलाना कांग्रेस की पुरानी आदत है, जो अब फिर से उजागर हो रही है।

कांग्रेस का पलटवार: बीजेपी कर रही है क्रेडिट हाइजैक

वीडी शर्मा के आरोपों पर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी गई। पार्टी प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने कहा कि, भाजपा के नेता केवल मंचों से गाल बजाते हैं। असल में जातीय जनगणना की मांग सबसे पहले कांग्रेस और राहुल गांधी ने उठाई थी। देशभर में कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के मुद्दे पर आवाज बुलंद की है। अब जब सरकार को दबाव में आकर यह काम करना पड़ रहा है, तो वह इसका श्रेय भी खुद लेना चाहती है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा जनता को गुमराह कर रही है और जनसंख्या के सामाजिक ढांचे की वास्तविकता से लोगों को दूर रखने का प्रयास कर रही है।

राजनीतिक एजेंडे की नई जंग

जातिगत जनगणना का विषय आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले बेहद संवेदनशील और राजनीतिक दृष्टि से अहम मुद्दा बनता जा रहा है। जहां भाजपा इसे विकास और पारदर्शिता का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व की लड़ाई मान रही है। विशेषज्ञों की मानें तो जातिगत आंकड़े सामने आने के बाद न सिर्फ सरकार की योजनाओं की दिशा बदल सकती है, बल्कि राजनीतिक दलों की रणनीति भी नए सिरे से तैयार की जाएगी।

मध्य प्रदेश में जातीय जनगणना को लेकर छिड़ा यह राजनीतिक संघर्ष सिर्फ बयानों तक सीमित नहीं रहने वाला है। जैसे-जैसे यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, इसके प्रभाव सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तीनों मोर्चों पर दिख सकते हैं। फिलहाल के लिए यह साफ है कि जातीय जनगणना अब केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है।

Written by Sharad Shrivastava

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